असीम राज पाण्डेय
रतलाम। शहर में जुए-सट्टे का अवैध कारोबार बड़े पैमाने पर संचालित हो रहा है। रतलाम के व्यस्त बाजार के थाना क्षेत्र अंतर्गत एक नामचीन हिस्ट्रीशीटर पिछले कुछ दिनों से कानून के रखवालों के संरक्षण में बड़े पैमाने पर जुआ संचालित कर रहा है। पहलवानों की वर्जिश के लिए तैयार किए गए अखाड़े के ऊपर हिस्ट्रीशीटर के जुएं के अड्डे पर रतलाम के नामचीन के अलावा बांसवाड़ा, इंदौर, धार, खाचरौद, नागदा, बदनावर और धानासुता के जुआरी रोज रात में पत्तों को फेंक पसीना बहाकर लाखों रुपए की हार-जीत में डटे हुए हैं। इस बदनाम अखाड़े की कहानी के किस्से भी किसी से छिपे नहीं है। एक बार फिर अखाड़े की आड़ में पहली मंजिल पर संचालित जुए के अड्डे पर महफिल सजने के चर्चे चौराहे-चौराहे पर छाने लगे हैं। जुएं के अड्डे का संचालक संबंधित थाने का हिस्ट्रीशीटर होने के साथ उसका बड़ा भाई हाथ के पंजे की पार्टी का वरिष्ठ नेता है। इसके बाद भी फूलछाप पार्टी सबकुछ जानते हुए भी पूरे मामले में चुप्पी साधकर सवालों को जन्म देने लगी है। ये अंदर की बात है कि कानून के रखवालों की सांठगांठ से बड़े पैमाने पर संचालित जुआ घर में वो भी दांव लगाने जाते हैं जो कभी-कभी फूलछाप पार्टी का गले में दुपट्टा डालकर नेताओं के साथ फोटो खिंचवाते हुए देखे जाते हैं।
सफेद कोट की शिक्षा आउट ऑफ कंट्रोल
वर्षों के इंतजार और प्रयासों के बाद रतलाम को स्वास्थ के क्षेत्र में मिली बड़ी सौगात अब बदनामी के दाग से सुर्खियां बंटोर रही है। शिक्षा के नाम पर निभाई जा रही औपचारिकता में बच्चे संस्कार से भी दूर हो रहे हैं। जिम्मेदार वार्डन और चीफ वार्डन सहित तमाम गुरू सिर्फ और सिर्फ शहर की आरा मशीनों पर बैंठ उपचार के नाम लोगों की जेब पर डाका डाल रहे हैं। हाल ही में सोशल मीडिया इंस्टाग्राम पर सेंड एक पोस्ट के बाद सीनियर का आतंक जूनियर स्टूडेंट में देखा गया। पिछली बार की तरह इस बार भी कॉलेज में डॉक्टर की शिक्षा लेने आए जूनियर स्टूडेंट को प्रताडि़त करने में हॉस्टल के वार्डन से लेकर चीफ वार्डन जो कि डॉक्टर की शिक्षा दे रहे हैं उनकी नाकामी और लापरवाही का नमूना एक बार फिर पेश हुआ है। प्रताडि़त जूनियर स्टूडेंट ने जब कॉलेज के जिम्मेदारों को जानकारी दी तो उन्होंने अनसुनी कर दी। ये अंदर की बात है कि जिम्मेदार गुरू (डॉक्टर) लाखों रुपए की तनख्वाह सीनियर स्टूडेंट के भरोसे ले रहे हैं और खुद बाहर के अस्पतालों में बैठकर उपचार से लेकर ऑपरेशन के नाम पर लोगों की जेबों पर डाका डालने में व्यस्त हैं।
आंखें मूंदकर दूध पी लो, देख रहे हैं सब
शहरवासियों को सडक़, पानी और सफाई उपलब्ध कराने में निकम्मे विभाग में अफसरशाही हावी है। देशभर का स्वच्छता सर्वेक्षण का परिणाम इसका ताजा उदाहरण है। विभाग के मुखिया पहले लोकायुक्त की औकात बताकर अपनी ठकुरानी दिखाई और अब हाईकोर्ट के आदेश को कुछ नहीं समझ रहे हैं। नतीजतन इन साहब को अब न्याय के मंदिर ने अवमानना का नोटिस थमा दिया है। हाल ही में भूमाफियां से सांठगांठ कर राजीव गांधी सिविक सेंटर के भूखंडों की रजिस्ट्री कराने वाले यह साहब अपने बुढापे को बिगाडऩे के लिए आतुर हैं। इन्हें नहीं पता है कि मुखिया की कुर्सी पर बैठकर जिम्मेदारी भी तय होती है, भले ही यह साहब सोच रहे हों कि मुझे अब दो माह बाद कौनसी नौकरी करना है। ये अंदर की बात है कि इस विभाग के माननीय की नाकामी के चलते विभाग प्रमुख हावी है और इसका रोष क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों में भी देखा जा रहा है। भले ही साहब और माननीय दोनों बिल्ली की तरह आंखें मूंदकर दूध पी लें, लेकिन फूलछाप पार्टी के आकामौला से लेकर जनता देख सब रही है।