असीमराज पांडेय, केके शर्मा
रतलाम। चुनावी वर्ष में सभी के मन बदले-बदले हुए हैं। आम जनता अधिकारियों की मनमानी और लापरवाही से परेशान तो क्षेत्र के संसदीय माननीय दिल्ली की बजाए भोपाल जाने में दिलचस्पी ले रहे हैं। आदिवासी बाहुल्य झाबुआ जिले की पेटलावद विधानसभा चुनाव में माननीय का फोकस काफी बना है। खास बात यह है कि माननीय दिल्ली जाने के बाद क्षेत्र के दो-चार लोगों के घेरे से बाहर नहीं आ पा रहे थे, लेकिन पेटलावद में प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद दो-चार लोगों के घेरे को तोड़कर फूलछाप पार्टी के वरिष्ठों के घर हाजरी लगाई। संसदीय माननीय भले विधानसभा के विकास की बात कहकर दावेदारी की मंशा जता रहे हो, यह अंदर की बात है कि …करोड़ों का घोटाला उजागर होने के बाद पार्टी सुप्रीमों की नाराजगी से इस बार दिल्ली की दौड़ माननीय के लिए आसान नहीं है।
नेता जी बोल गए सारा काम में ही देखता हूं
पिछले सप्ताह जिला मुख्यालय पर एक नए आईएएस अधिकारी आए। अधिकारी अपने मातहतों से मिल ही रहे थे कि तभी एक सांसद प्रतिनिधि एक नेता जी के साथ जा धमके। नए अधिकारी से परिचय देकर साथ मे आए नेता जी का परिचय देकर कहा कि यह माननीय राज्यपाल जी के नागदा से है। नेता जी भी पीछे नहीं रहे उन्होंने भी तपाक से बोल दिया की आलोट का सारा काम में ही देखता हूं। इस दौरान शहर से स्थान्तरित अधिकारी भी वहां मौजूद थी। अंदर की बात है कि नेता जी आलोट का कौन सा काम देखते है यह तो वहीं जानते है या पुराने अधिकारी। हालांकि सांसद प्रतिनिधि ने यह भी कहा कि हम तो मैडम से मिलने आए थे, आप आ गए तो आपसे से भी मुलाकात हो गई।
फुलछाप के सचेतक चैम्बर में नहीं आते नजर
फुलछाप पार्टी की नगर सरकार में पहली से अंतिम पंक्ति तक सब भगवान भरोसे हैं। नगर सरकार में जिम्मेदारी की शपथ को लिए करीब एक वर्ष पूरा होने वाला है। पार्टी ने पार्षद दल का नेता (सचेतक) युवा चेहरे को तलाश इसलिए बनाया था कि वह पार्षदों के साथ आमजन की समस्या को सुन उन्हें तत्परता से हल करवाए। सचेतक महोदय को निगम कार्यालय में चैम्बर भी मिला, लेकिन यह अंदर की बात है कि वह अपने काम निगम के मनमानी बरतने वाले सिस्टम से नहीं करवा सकते तो पार्टी के पार्षद और आमजन के कैसे करवाएंगे। इसके चलते वह चैम्बर में भी नहीं बैठते की कहीं कोई उन्हें काम का न बोल दे।