रतलाम, वन्देमातरम् न्यूज।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष 108 महंत श्री रविंद्र पुरी जी महाराज शुक्रवार को रतलाम आए। मीडिया से चर्चा के दौरान धर्मांतरण को रोकने के लिए महंत श्री रविंद्र पुरी जी महाराज का बड़ा बयान सामने आया है उन्होंने कहा कि जो लोग शास्त्रों से नहीं मानते थे उन्हें शस्त्रों से मनाने के लिए अखाड़े बनाए गए हैं। अखाड़ा परिषद का प्रयास होगा की जहां-जहां इस प्रकार की त्रुटियां है वहां जनता के सहयोग से धर्म को मानने वाले या नहीं मानने वालों की आत्मा, बुद्धि व दिल में हम अपने शब्दों को इस प्रकार रोपण करने की चेष्टा करेंगे कि अगर वह हमारे बारे में पॉजिटिव नहीं सोचे तो नेगेटिव भी नहीं सोचे।
दरसल धर्मांतरण मुद्दे पर पूछे गए सवाल पर महंत रविन्द्र पूरी महाराज ने कहा कि भारत में छह लाख 36 हजार गांव है जितने भी जिले है हर जिले में मंदिर और हिंदू धर्मावलंबी है। अभी कुछ राज्यों में धर्मांतरण के मामले चल रहे हैं जिनमे से 8 या 9 राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक हो गए हैं। सनातन की संस्कृति को स्थापित करने के लिए हमारे पूर्वजों आदि जगतगुरु शंकराचार्य के दिव्य अभियान से अखाड़ों की उत्पत्ति हुई है। जो लोग शास्त्रों से नही मानते थे उन्हें शस्त्रों से मनाने के लिए अखाड़े बनाए गए है।
पीएम व योगी आदित्यनाथ की तारीफ
महंत रविन्द्र पूरी महाराज ने पीएम नरेंद्र मोदी के धार्मिक यात्राओं के लिए तारीफ की और कहा कि यदि राजा यदि धर्म के अनुसार आचरण व्यवहार करता है तो जनता में भी धर्म के प्रति जागरूकता बढ़ती है, मंदिरों की व्यवस्था सुधरती है। वही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए कहा कि एक राजा नही एक महात्मा उत्तर प्रदेश का शासन चला रहा है 25 सालो में उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पिछले शासन और कुछ समाज के लोगो ने बिगाड़ी थी, उस पर अंकुश लगाने का काम उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने किया है उसकी प्रशंसा तो हम ही नही कुछ सरकार के विपक्षी भी हमारे सामने करते है।
महामंडलेश्वर स्वामी श्री चिदंबरानंद जी महाराज ने कहा कि सामान्य जन अखाड़ों के बलिदान से अनभिज्ञ है। विधर्मियो से रक्षा के लिए अखाड़ों ने ऐतिहासिक बलिदान दिया है। सनातन धर्म को बचाने में अखाड़ों के महत्व पूर्ण योगदान है। इस दौरान महामंडलेश्वर स्वामी आत्मानंद पुरी जी महाराज पंजाब , महामंडलेश्वर महेश्वरानंद पुरी जी महाराज पाली राजस्थान, महामंडलेश्वर पुरुषोत्तम आनंद जी सरस्वती सीतापुर उत्तर प्रदेश, स्वामी सहजानंद जी हिसार हरियाणा, मोहनलाल भट्ट, सुनील भट्ट आदि उपस्थित थे।