असीम राज पांडेय, केके शर्मा, जयदीप गुर्जर
रतलाम। शहर की नई नवेली सरकार में आपसी मनमुटाव से कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है। वार्डों में विकास कार्यों की फाइल लेकर जब पार्षद माननीय से लेकर अधिकारियों के पास पहुंच रहे तो आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिल रहा। ऐसा ही वाक्या कुछ दिनों पहले हुआ जब संघ से जुड़े एक भाजपा पार्षद वार्ड विकास से संबंधित कार्य की फाइल लेकर नगर सरकार के माननीय के पास पहुंचे तो उन्हें निगम के बड़े अधिकारी के पास जाने को कहा। जब वह अधिकारी के पास गए तो वहां से भी संतुष्ट जवाब नहीं मिला। फिर सत्ताधारी पार्षद का पारा गर्म हो गया। वह पुनः माननीय के पास पहुंचे तो वहां ऐसा कुछ हुआ कि पार्षद महोदय ने माननीय के सामने ही फाइल फाड़ के फेंक दी। वहां मौजूद भी हक्का-बक्का रह गए। हालांकि माननीय भी पीछे कहां रहने वाले थे उन्होंने भी पार्षद महोदय को दो टूक कहा इतना गुस्सा आता है तो चुनाव नहीं लड़ना था।
…साहब फिर क्या आपके लिए गराडू लाऊ
मेहमानों को देर रात गराडू का स्वाद चखाने के बाद सुर्खियों में आए तीन तारों के साहब का अब गराडू पीछा नहीं छोड़ रहे हैं। वाक्या कुछ ऐसा है कि गणतंत्र दिवस के मुख्य समारोह के लिए मंत्रीजी सर्किट हाऊस पहुंचे। मंत्रीजी की आवभगत में प्रशासन के अधिकारी भी मौजूद थे। इस दौरान प्रशासनिक अधिकारी ने तीन तारों के साहब से कहा कि कल रात अफीम की भाजी पहली बार खाई। उन्हें डर लग रहा था कि कहीं नशा न हो जाए। तीन तारों के साहब ने कहा कि मुझे तो अफीम की भाजी पसन्द नहीं है। तभी भीड़ में से निकले एक युवक ने तबाक से तीन तारों के साहब से पूछा की साहब गराडू लाऊ क्या..? सकपकाए साहब ने पहले अगल-बगल देखा और चर्चा पूरी किए बगैर तबाक से गाड़ी में बैठ नो दो ग्यारह हो गए। मौके पर खड़े युवक ने प्रशासनिक साहब को बताया कि तीन तारों के साहब आखिर गराडू का नाम सुनते ही क्यों गायब हुए।
…ओखली में सिर देने पहुंचे सत्ताधारी माननीय
पूरा देश गणतंत्र की खुशियों में डूबा था, उस दिन सूबे के सत्ताधारी पार्टी के माननीयों ने ओखली में सिर देकर शर्मसार कर दिया। वाक्या स्टेशन रोड का है, जहां एक नई नवेली खान-पान की दुकान का फीता काटने सभी माननीय पहुंचे। ओखली में सिर देने के लिए सभी माननीय बड़ी-बड़ी गाड़ियों से आये। दुकानदार ने पहले ही आधी सड़क घेर ली तो और आधी पर माननीयों के वाहन। 1 घंटे तक लगे जाम से स्टेशन जाने वाले परेशान होते रहे और कइयों की ट्रेन छूट गई। ट्रेन छूटने से मायूस होकर शहरवासी कोसते नजर आए की हमारी तो ट्रेन छूटी तुम्हारी कुर्सी न हट जाए।