– वारदात के बाद अभियुक्त पति मौके से हो गया था फरार, मृतिका के परिजन ने लगाए थे आरोप
रतलाम, वंदेमातरम् न्यूज।
पांच वर्ष पूर्व पत्नी की हत्या कर मामले में न्यायालय ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। न्यायलय ने अभियुक्त पति विकास (25) पिता गोपाल टांक निवासी 1611-ई भवानी बिल्डिंग रेल्वे कॉलोनी ( रतलाम ) को धारा 302, 498-2 भादवि में आजीवन कारावास एवं पांच हजार रुपए के जुर्माने से दण्डित किया है। मामले में अभियुक्त की मां आशाबाई और भाई अनिल टांक को दोषमुक्त किया है।

रतलाम जिला अभियोजन अधिकारी गोविन्द प्रसाद घाटिया ने बताया कि आशा पति गोपाल टांक नि. रेल्वे सैलाना यार्ड ( रतलाम ) ने पुलिस को सूचना दी थी कि उसके दो लडके हैं। छोटे लडके अभियुक्त विकास ने नाथद्वारा ( राजस्थान ) की ईशा उर्फ ऐश्वर्य से कोर्ट में शादी की थी। अभियुक्त विकास व ईशा रेल्वे क्वार्टर ( सैलाना यार्ड ) में निवास करते थे। इनके मध्य आपस में वाद विवाद एवं मारपीट होती थी। 17 नवंबर – 2018 को विकास ने ईशा से मारपीट की जिससे वह बेहोश हो गई थी।
आशाबाई को दो लडके बुलाने के लिए आये तब वह मौके पर पहुंची थी। उसने देखा कि विकास की पत्नी ईशा कमरे में अचेत अवस्था में जमीन पर पडी है और उसके शरीर पर जगह जगह चोट के निशान थे। विकास घर से भाग गया था वह ऑटो से ईशा को जिला अस्पताल लेकर गई जहां चिकित्सक द्वारा ईशा को इंदौर के लिए रैफर किया था। आशाबाई की सूचना पर से 18 नवंबर -2018 को रेलवे थाना ने एफआईआर दर्ज की जांच में मृतिका के पिता बाबूलाल , मौसा प्रवीण, नानी गुडडीबाई, मां नीतू देवी के कथन लिये गए। कथनों में मृतिका की सास आशाबाई एवं देवर अनिल पर दहेज में 1 लाख रुपए की मांग के लिए विकास को भड़काकर ऐश्वया पर मारपीट कराने के गंभीर आरोप लगे थे।
सास और देवर इसलिए आए शंका के घेरे में
16 नवंबर – 2018 की रात्रि में अभियुक्त विकास टांक ने ऐश्वर्या से बुरी तरह से मारपीट की थी। इससे ऐश्वर्या बेहोश हो गई थी। इसकी सूचना आशाबाई ने पुलिस को नहीं दी थी और उसे जिला चिकित्सालय में भर्ती करवाया था। ऐश्वर्या को एमवाय हॉस्पिटल इंदौर से रैफर करवाकर मेडिस्कॉर अस्पताल ( इंदौर) ले गए थे, जहां पर यहा झूठा लिखवाया कि ऐश्वर्या सीढियों से गिर गई थी और कोमा में चली गई। 23 नवंबर – 2018 को मेडिस्कॉर अस्पताल में उपचार के दौरान एश्वर्या की मृत्यु हो गई। अभियोजन की ओर से प्रस्तुत दस्तावेजी, मौखिक साक्ष्य एवं वैज्ञानिक साक्ष्य से अभियुक्त विकास के विरूद्ध अपराध को प्रमाणित मानते हुए दोषसिद्ध किया गया है। उक्त प्रकरण में शासन की ओर से सफल पैरवी अतिरिक्त लोक अभियोजक समरथ पाटीदार द्वारा की गई।